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पी. चिदंबरम ने कहा- EVM के साथ उनका कभी बुरा अनुभव नहीं रहा, दिक्कत बैलट पेपर के वक्त थी
Shantanu Roy
28 Nov 2024 5:42 PM GMT
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कांग्रेस के हार की असली वजह उनकी देश और जन विरोधी मानसिकता है
New Delhi. नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम स्वयं कह रहे हैं कि EVM के साथ उनका कभी बुरा अनुभव नहीं रहा, उनको दिक्कत बैलट पेपर के वक्त थी। शहजादे (राहुल गांधी) को समझानी चाहिए, जो हर हार के बाद रोना शुरू कर देते हैं। असल में समस्या EVM नहीं बल्कि कांग्रेस की देश और जन विरोधी मानसिकता है। इसलिए जनता उन्हें हर चुनाव में सबक सिखाती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम स्वयं कह रहे हैं कि EVM के साथ उनका कभी बुरा अनुभव नहीं रहा, उनको दिक्कत बैलट पेपर के वक्त थी।@PChidambaram_IN जी को ये बात @INCIndia और शहजादे @RahulGandhi को समझानी चाहिए, जो हर हार के बाद रोना शुरू कर देते हैं।
— Vinod Tawde (@TawdeVinod) November 28, 2024
असल में समस्या EVM नहीं… pic.twitter.com/dWHy6MkTlH
महाराष्ट्र में ईवीएम को लेकर लगातार सियासी हंगामा जारी है। विधानसभा चुनाव में MVA को हार मिली है और वो ये हार स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है। विपक्ष लगातार एमवीए की हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ रहा है। विपक्ष अब ईवीएम या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की विश्वसनीयता के खिलाफ एक राष्ट्रीय विरोध की योजना बना रहा है। इसके चलते अब एमवीए के हारे हुए उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्रों में ईवीएम और वीवीपैट यूनिट से वोटों का मिलान कराएंगे। महा विकास अघाड़ी पिछले हफ्ते महाराष्ट्र चुनाव में बुरी तरह हार गई थी। ऐसे में विपक्ष ईवीएम या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की विश्वसनीयता के खिलाफ एक राष्ट्रीय विरोध की योजना बना रहा है, विपक्ष पूरी तरह से ईवीएम को अपनी हार के लिए जिम्मेदार मानता है। MVA ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए अदालत का रुख करने की योजना बनाई है। इसके आलावा विकल्प के तौर पर VVPAT के द्वारा निकाली गई पर्ची मतदाताओं के हाथ में देने के उपरांत सील लगाकर मतदान पेटी में डालने की बात भी कांग्रेस कर रही है। ताकि मतदान पेटी में पर्ची मिलाकर EVM के साथ मिलान किया जा सके। सूत्रों से छनकर ये जानकारी भी आ रही है कि EVM के मुद्दे को बड़े राष्ट्रीय स्तर में लेजाकर बहुत बड़े आंदोलन का मूड कांग्रेस पार्टी में बन रहा है।
कांग्रेस पार्टी 29 नवंबर को अपनी कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक करेगी। इस बैठक में वर्तमान राजनीतिक स्थिति के साथ-साथ हाल ही में संपन्न महाराष्ट्र और हरियाणा में पार्टी की चुनावी हार पर चर्चा हो सकती है। महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को बड़ा झटका लगा है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) को सिर्फ 20 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद पवार गुट) को सिर्फ 10 सीटों से संतोष करना पड़ा। वहीं, भाजपा 132 सीटों के साथ विजयी हुई, जबकि उसके सहयोगी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले राकांपा गुट ने क्रमश: 57 और 41 सीटें हासिल कीं।
महायुति ने 288 विधानसभा सीटों में से 235 सीटें जीतकर जीत की ओर कदम बढ़ाया। भाजपा ने अपने दम पर 132 सीटें जीतीं - जो कि महाराष्ट्र चुनाव में उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ स्कोर है और उम्मीद है कि वह अगली सरकार का नेतृत्व करेगी। एमवीए ने केवल 49 सीटें जीतीं; दिग्गज नेता का अब तक का सबसे खराब चुनावी प्रदर्शन रिकॉर्ड करने के लिए ठाकरे सेना को 20, कांग्रेस को 16 और शरद पवार के एनसीपी समूह को सिर्फ 10 सीटें मिलीं। महा विकास अघाड़ी के भीतर सीट-बंटवारे की व्यवस्था के तहत, कांग्रेस ने महाराष्ट्र में 101 सीटों पर चुनाव लड़ा। हालांकि, सिर्फ 16 सीटें ही जीत पाई। हरियाणा में भी भाजपा ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 48 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाई, जबकि कांग्रेस को 37 सीटों से संतोष करना पड़ा।
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